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Showing posts from May, 2020

कोरोना - एक मानसिक महामारी

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कोरोना  - एक मानसिक महामारी   कोरोना, एक ऐसा नाम जो आज हमारी जिंदगी का एक भयावह हिस्सा बन चुका है | आज हम सभी को ऐसा लगता है की कोरोना एक महामारी है जिसके द्वारा मुख्य रूप से मनुष्य की केवल शारीरिक क्षति हो रही है | परन्तु ऐसा नहीं है कोरोना ही नहीं किसी भी प्रकार की आपदा के कारण मुख्य रूप से किसी भी इंसान के जीवन में पड़ने वाले अच्छे या बुरे प्रभाव चार प्रकार के होते है |  शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक | हम ये तो प्रत्यक्ष रूप से देख ही रहे है की कोरोना एक बीमारी है अतः इसका इंसान पर शरीरिक प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है | परन्तु इसके कई अन्य दुष्प्रभावों के बारे में भी हमे जागरूक होना चाहिए | कोरोना के कारण होने वाले लॉकडाउन से इंसान पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव भी बहुत नकारात्मक रहे है | इसी प्रकार सोशल डिस्टेंसिंग के कारण सामाजिक प्रभाव भी अत्यंत नकारात्मक रहे है | अर्थात कोरोना के कारण इंसान को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा है | हमें यह जानना चाहि...

कोरोना - स्वदेशीकरण की एक नवीन परिभाषा

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कोरोना - स्वदेशीकरण की एक नवीन परिभाषा   कोरोना ने हमें जिंदगी को देखने का एक नया नजरिया दिया है | इंसान कोरोना से पहले जिन परिभाषाओं के साथ जी रहा था वे सारी परिभाषाएं कोरोना के कारण बदल रही है | इंसान की बहुत सारी गलतफहमियां एक एक करके टूटती जा रही है | इंसान कोरोना के कारण अपने जीवन जीने के तरीकों को बदलने पर विचार कर रहा है | इंसान की एक बहुत अच्छी फितरत है की वह परिवर्तन का स्वागत बड़ी ही समझदारी के साथ करता है | यही कारण है की इंसान इस महामारी के डर से बाहर आएगा फिर चाहे इसे मार कर आए या इससे समझौता करके | आज पूरा विश्व कोरोना से दो मोर्चों पर लड़ रहा है | पहला की इस कोरोना को समाप्त करके पुनः पहले जैसा जीवन कैसे प्राप्त किया जा सकता है ? और दूसरा ये की लोगो का जीवन और अर्थव्यवस्था की क्षति किस प्रकार रोकी जा सकती है ? यह सत्य है की प्रत्येक चुनौती में एक अवसर छुपा होता है | बस उस अवसर को पहचानने की क़ाबलियत ही इंसान के भविष्य का निर्धारण करती है | आज हमारे देश के सामने कोरोना एक कठिन चुनौती बन कर खड़ा हुआ ह...

कोरोना - बड़ी समस्या का छोटा इशारा

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कोरोना - बड़ी समस्या का छोटा इशारा   कोरोना महामारी के कारण सारे विश्व में त्राहि त्राहि मची हुई है | लोग किसी भी प्रकार इससे बचना चाहते है | वे इस महामारी से खुद को और अपनी अर्थव्यवस्था को भी बचाना चाहते है | परन्तु बचने की इस आप धापी में हम सभी ये भूल रहे है की इस महामारी के द्वारा सृस्टि रचियता हमारा ध्यान किसी ऐसे विषय की ओर ले जाना चाहते है जिसे वर्षों से जानते हुए भी हम अनजान बने हुए है | कही वे हमे कोई ऐसा मार्ग तो नहीं दिखाना चाहते जिस पर चलकर हम अपनी सृष्टि को नष्ट होने से बचा सकते है | कभी सोचा है आप ने की एक बहुत छोटा सा वायरस कोरोना आखिर इतना शक्तिशाली क्यों है की उसने पूरे विश्व की दैनिक दिनचर्या को ही बदल कर रख दिया है | लोगो की प्राथमिकताए वरीयताएँ सभी कुछ बदल गई है | आज विश्व में समय के चक्र को छोड़ बाकी सारे चक्र बंद हो चुके है | यूँ तो मानव इतिहास विभिन्न प्रकार की त्रासदियों का साक्षी रहा है परन्तु उन में कोरोना का स्थान अद्वितीय है क्यूंकि कोरोना का जो विपरीत प्रभाव मानव सभ्यता पर पड़ रहा है या आगे जो पड़ने वाला है वैसा प्रभाव आज तक किसी त्रासदी क...

लॉकडाउन - अधिकार प्रधान एवं कर्त्तव्य गौण

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लॉकडाउन  - अधिकार प्रधान एवं कर्त्तव्य गौण    अभी 2 दिन पहले सुबह टेलीविज़न चालू किया तो एक बेहद दुखद खबर दिखाई दी की औरंगाबाद के पास रेल ट्रैक पर 14 मजदूरों की रेलगाड़ी से कटकर मृत्यु हो गई | एक तरफ पूरा दिन कोरोना के बढ़ते हुए कहर की खबरे और दूसरी तरफ औरंगाबाद जैसे हादसों की खबरों ने मुझे ही नहीं उन सभी को हिला के रख दिया जिनके भीतर अभी कुछ संवेदनाए बाकी है |  अभी तक कही किसी भी सूत्र से कोई प्रामाणिक पुष्टि नहीं हो सकी है की ये मजदूर उस रात रेल ट्रैक पर कर क्या रहे थे | सबसे अधिक प्रामाणिक अवमानना है की ये मजदूर रेलवे ट्रैक के रास्ते से अपने मूल स्थान की और लौट रहे थे जहा से वे आए थे | सरकार ने, रेलवे ने, जांच एजेंसियों ने, मीडिया ने और हम ने भी ये मान लिया है की ये अवमानना सही है |  एक बात और जो मैं ने पर्यवेक्षित की है और शायद आप सभी ने भी की होगी की हम लोग किसी भी मुद्दे पर बहुत जल्दी न्यायधीश बन जाते है और किसी को भी किसी भी घटना के लिए जिम्मेदार बना देते है | मैंने देखा की लगभग समस्त सोशल मीडिया पर इस घ...

कोरोना से जीत का मन्त्र - "वसुधैव कुटुम्बकम्"

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कोरोना से जीत का मन्त्र -  "वसुधैव कुटुम्बकम् " बहुत दिनों से दिमाग में एक प्रश्न दस्तक दे रहा है कि भारत में कोरोना से प्रभावित लोगो की संख्या और कोरोना से होने वाली मृत्यु दर विश्व के अन्य देशों की तुलना में कम क्यों है ? निसंदेह ये प्रश्न किसी यक्ष प्रश्न की भांति हमारे समक्ष खड़ा है जिसका उत्तर हम सब के लिए खोजना अति आवश्यक है | आइये हम और आप मिल कर सोचते है की इसके पीछे क्या क्या कारण  हो सकते है - भारत एक ऐसा देश है जो विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है | जनसंख्या के दृष्टिकोण से देखा जाए तो भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है जनसंख्या में चीन एक मात्र देश है जो भारत से आगे है परन्तु जनसंख्या घनत्व की बात की जाए तो भारत चीन से कहीं आगे है क्यूंकि जहा एक और चीन में जनसँख्या घनत्व 149 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है वही भारत में ये घनत्व 450 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है | क्षेत्रफल की दृष्टि से  विश्व में सातवां  स्थान और 138 करोड़ जनसँख्या का देश भारत जब विश्व व्यापी महामारी कोरोना की चपेट में आता...

लॉक-डाउन : एक सफर प्रवासी से शरणार्थी तक

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लॉक-डाउन : एक सफर प्रवासी से शरणार्थी तक    01 मई मजदूर दिवस, मजदूरों का दिन और इस दिन एक बड़ी ही अच्छी खबर पढ़ने को मिली की एक विशेष रेलगाडी 1200 मजदूरों को लेकर तेलंगाना से झारखण्ड के लिए रवाना हो चुकी है और एक रेलगाड़ी आज शाम को ओडिशा से केरल के लिए रवाना होगी जो 1000 मजदूरों को उनके घर पहुंचाएगी | और ऐसी ही और भी कई रेलगाड़ियां देश भर में चलाई जाएंगी जिनके द्वारा लोग परदेश से अपने अपने घर जा पाएंगे |  खबर पढ़ते ही मन मैं एक अच्छा भाव उत्पन्न हुआ पर साथ ही कुछ  प्रश्न भी उत्पन्न हुए कि -  ये फैसला केंद्र सरकार ने किसके दबाव मैं आ के लिया है ? सरकार को ये ही करना था तो फिर तब हज़ारो प्रवासी मज़दूरों को पैदल चलकर अपने गांव क्यों जाना पड़ा ? क्या सरकार को अब देश में कोरोना की स्थिति में सुधार दिख रहा है ?  सरकार जो फैसला आज ले रही है की मज़दूरों और अन्य लोगो को उनके मूल स्थान तक पहुंचना है, ये फैसला उसने आज से 40 दिन पहले क्यों नहीं लिया जब पूरे देश में लॉक डाउन लगाया गया था ?  ...