कोरोना से जीत का मन्त्र - "वसुधैव कुटुम्बकम्"
कोरोना से जीत का मन्त्र - "वसुधैव कुटुम्बकम् "

बहुत दिनों से दिमाग में एक प्रश्न दस्तक दे रहा है कि भारत में कोरोना से प्रभावित लोगो की संख्या और कोरोना से होने वाली मृत्यु दर विश्व के अन्य देशों की तुलना में कम क्यों है ? निसंदेह ये प्रश्न किसी यक्ष प्रश्न की भांति हमारे समक्ष खड़ा है जिसका उत्तर हम सब के लिए खोजना अति आवश्यक है |
आइये हम और आप मिल कर सोचते है की इसके पीछे क्या क्या कारण हो सकते है -
भारत एक ऐसा देश है जो विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है | जनसंख्या के दृष्टिकोण से देखा जाए तो भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है जनसंख्या में चीन एक मात्र देश है जो भारत से आगे है परन्तु जनसंख्या घनत्व की बात की जाए तो भारत चीन से कहीं आगे है क्यूंकि जहा एक और चीन में जनसँख्या घनत्व 149 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है वही भारत में ये घनत्व 450 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है |
क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवां स्थान और 138 करोड़ जनसँख्या का देश भारत जब विश्व व्यापी महामारी कोरोना की चपेट में आता है तो तो विश्व के दिग्गज राष्ट्रों को सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि कुछ तो विशेष है भारत में, जिस कारण कोरोना से होने वाली मृत्यु दर विश्व के कई विकसित और समृद्ध राष्ट्रों की तुलना में सबसे निचले स्तर पर है |
हम सर्वप्रथम बात करना चाहते है अमरीका की जो की प्रत्येक पैमाने पर विश्व का नम्बर एक राष्ट्र है जिसकी आबादी केवल 33 करोड़ है जो की भारत के तीन राज्यों की जनसँख्या से भी कम है, वहां की कोरोना मृत्युदर 0.023% है |
दूसरे नम्बर पर हम बात करना चाहते है कोरोना प्रभावित देश स्पेन की जिसकी कुल जनसँख्या केवल 4.6 करोड़ है जो की भारत के 2 बड़े शहरों की कुल जनसँख्या से भी कम है, वहां की कोरोना मृत्युदर 0.056% है |
इसी क्रम में तीसरे स्थान पर हम बात करना चाहते है इटली की जिसकी जनसँख्या 6 करोड़ है जोकि भारत के मध्य प्रदेश राज्य की जनसँख्या से भी कम है यहाँ की मृत्यु दर 0.05% है |
परन्तु इनसब के बिलकुल उलट भारत की जनसँख्या इनसे कई गुना ज्यादा है और कोरोना के द्वारा होने वाली मृत्युदर केवल 0.00014% है | यानी अमरीका से 165 गुना कम |
ये आंकड़े एक पहेली या चमत्कार नहीं तो और क्या है ?
आइये हम और आप मिलकर इस पहेली को सुलझाने का प्रयास करते है | जिसके बारे में विचार करने के लिए हमारे पास छः संभावित कारण है -
ये वो समस्त संभावित कारण हो सकते है जिस कारण भारत में कोरोना से होने वाली मृत्युदर बाकि समृद्ध देशो की तुलना में कई गुना कम है | इन्ही की एक एक करके समीक्षा आज हम यहाँ करेंगे -
ये वो समस्त संभावित कारण हो सकते है जिस कारण भारत में कोरोना से होने वाली मृत्युदर बाकि समृद्ध देशो की तुलना में कई गुना कम है | इन्ही की एक एक करके समीक्षा आज हम यहाँ करेंगे -
1. प्रथम सम्भावना है की महामारी भारत में बहुत देरी से प्रविष्ट हुई | जब महामारी भारत में आई उससे पहले ही विश्व के बहुत सारे हिस्सों में फ़ैल चुकी थी | जिस कारण भारत में मृत्यु दर कम है |
यहाँ जानने वाली बात यह है की भारत में कोरोना का प्रथम मरीज 29 जनवरी 2020 को केरल प्रान्त में पाया गया था | वही दूसरी और देखा जाए तो अमरीका में 20जनवरी 2020 को, स्पेन में 31 जनवरी 2020 को एवं इटली में 21 फरवरी 2020 को इस महामारी का पदार्पण हुआ इसलिए यह मत की कोरोना का प्रवेश भारत में काफी देरी से हुआ ख़ारिज होता है | विश्व के बाकी देशों के सामान ही भारत में भी कोरोना समान समय पर ही प्रवेशित हुआ | इसलिए ये कहना की भारत में कोरोना देरी से आया इसी कारण भारत में इससे होने वाली मृत्युदर कम है पूर्णतः प्रासंगिक नहीं है |
यहाँ जानने वाली बात यह है की भारत में कोरोना का प्रथम मरीज 29 जनवरी 2020 को केरल प्रान्त में पाया गया था | वही दूसरी और देखा जाए तो अमरीका में 20जनवरी 2020 को, स्पेन में 31 जनवरी 2020 को एवं इटली में 21 फरवरी 2020 को इस महामारी का पदार्पण हुआ इसलिए यह मत की कोरोना का प्रवेश भारत में काफी देरी से हुआ ख़ारिज होता है | विश्व के बाकी देशों के सामान ही भारत में भी कोरोना समान समय पर ही प्रवेशित हुआ | इसलिए ये कहना की भारत में कोरोना देरी से आया इसी कारण भारत में इससे होने वाली मृत्युदर कम है पूर्णतः प्रासंगिक नहीं है |
2. भारत में लॉक डाउन बहुत प्रारंभिक दौर में ही लगा दिया गया था | और इसका पालन भी पूरी निष्ठा के साथ शत - प्रतिशत किया गया जिस कारण कोरोना को सफलता पूर्वक दबा दिया गया | लॉकडाउन के साथ ही सामाजिक दूरी के सिद्धांत का भी पालन बहुत ईमानदारी से किया गया जिस कारण कोरोना से होने वाली मृत्युदर कम रही |
इस बात में कोई संदेह नहीं है की लॉकडाउन कोरोना जैसी महामारियों के लिए बहुत ज्यादा कारगर एवं एकमात्र उपाय है | परन्तु यह कहना की लॉकडाउन बहुत प्रारंभिक अवस्था में लागू कर दिया गया था पूर्णतः सत्य नहीं है | क्यूंकि भारत में कोरोना का प्रथम मरीज 29 जनवरी 2020 को मिला और लॉकडाउन पूरे 52 दिन बाद 24 मार्च 2020 को लागू किया जाता है | तो यह कहना तो कतई मुनासिब नहीं होगा की लॉकडाउन बहुत प्रारंभिक अवस्था में लागू किया गया | अब बात करते है की देरी से या जल्दी, जब भी लागू किया गया तब इसका शत प्रतिशत पालन पूरी ईमानदारी से किया गया | तो आप सभी को मालूम है की पूरे देश में प्रत्येक नागरिक के द्वारा इस लॉकडाउन का पालन पूरी ईमानदारी से तो नहीं किया गया है | जिसका उदाहरण प्रवाशी मजदूरों का पलायन है, हजारों की संख्या में मजदूरों की घर वापसी की मांग के लिए किया गया धरना प्रदर्शन है, हजारों की संख्या में लोगो का बस स्टेण्डों पर एकत्रित हो जाना है, देश भर में फैले तब्लिकि ज़मात के लोग है | इसलिए हम ये तो कतई नहीं कह सकते की लॉकडाउन और सामाजिक दूरी का सिद्धांत एक मात्र कारण है जिसके फलस्वरूप देश में कोरोना मृत्यु दर कम रही |
इस बात में कोई संदेह नहीं है की लॉकडाउन कोरोना जैसी महामारियों के लिए बहुत ज्यादा कारगर एवं एकमात्र उपाय है | परन्तु यह कहना की लॉकडाउन बहुत प्रारंभिक अवस्था में लागू कर दिया गया था पूर्णतः सत्य नहीं है | क्यूंकि भारत में कोरोना का प्रथम मरीज 29 जनवरी 2020 को मिला और लॉकडाउन पूरे 52 दिन बाद 24 मार्च 2020 को लागू किया जाता है | तो यह कहना तो कतई मुनासिब नहीं होगा की लॉकडाउन बहुत प्रारंभिक अवस्था में लागू किया गया | अब बात करते है की देरी से या जल्दी, जब भी लागू किया गया तब इसका शत प्रतिशत पालन पूरी ईमानदारी से किया गया | तो आप सभी को मालूम है की पूरे देश में प्रत्येक नागरिक के द्वारा इस लॉकडाउन का पालन पूरी ईमानदारी से तो नहीं किया गया है | जिसका उदाहरण प्रवाशी मजदूरों का पलायन है, हजारों की संख्या में मजदूरों की घर वापसी की मांग के लिए किया गया धरना प्रदर्शन है, हजारों की संख्या में लोगो का बस स्टेण्डों पर एकत्रित हो जाना है, देश भर में फैले तब्लिकि ज़मात के लोग है | इसलिए हम ये तो कतई नहीं कह सकते की लॉकडाउन और सामाजिक दूरी का सिद्धांत एक मात्र कारण है जिसके फलस्वरूप देश में कोरोना मृत्यु दर कम रही |
3. भारत में पर्याप्त कोरोना परीक्षणों का आभाव रहा जिस कारण प्रभावितों और उससे होने वाली मृत्यु की संख्या का उचित अनुमान नहीं लगाया जा सका है | कोरोना से हुई मृत्यु का ये आंकड़ा आधिकारिक आंकड़े से बड़ा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है |
हाँ, ये बात निसंदेह सत्य है की भारत में कोरोना परिक्षणों की अपर्याप्त व्यवस्था है हम उतने परिक्षण नहीं कर पा रहे है जितने हमको करने चाहिए | हमारे पास समुचित साधनो का अभाव है, तो विश्व में हम एक मात्र ऐसे नहीं है जोकि पर्याप्त मात्रा में टेस्ट नहीं कर पा रहे है विश्व के कई विकसित देशों में हमारे देश जैसी ही स्थिति है |
हाँ, ये बात निसंदेह सत्य है की भारत में कोरोना परिक्षणों की अपर्याप्त व्यवस्था है हम उतने परिक्षण नहीं कर पा रहे है जितने हमको करने चाहिए | हमारे पास समुचित साधनो का अभाव है, तो विश्व में हम एक मात्र ऐसे नहीं है जोकि पर्याप्त मात्रा में टेस्ट नहीं कर पा रहे है विश्व के कई विकसित देशों में हमारे देश जैसी ही स्थिति है |
ये भी कारण हो सकता है की पर्याप्त परिक्षणों के आभाव में हम कोरोना से होने वाली वास्तविक मृत्युदर की ठीक गणना करने में असमर्थ रहे है | किसी व्यक्ति की मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है इस बात की पुष्टि उसके शव का COVID RT-PTR परिक्षण करके ही की जा सकती है | जो कि व्यवहारिक दृष्टिकोण से भारत के लिए ही नहीं अपितु विश्व के किसी भी देश के लिए संभव नहीं है | कोरोना से होने वाली मृत्यु की पुष्टि केवल एक ही अवस्था में की जाती है तब जबकि जिस व्यक्ति में कोरोना के लक्षण है उसकी जाँच करके ये पुष्टि कर ली जाए की वह कोरोना संक्रमित है और इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो जाए | इसी अवस्था में मृत्यु की गणना कोरोना संक्रमण के रूप में की जाएगी | इस मतानुसार समझा जाए तो भारत में कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर आधिकारिक घोषित मृत्यु दर से बहुत अधिक होनी चाहिए | तो आइये इस बात को कुछ कदम और आगे ले जाते है | इस बात की आधिकारिक पुष्टि है की विगत 2 माह में भारत के अंदर होने वाली विभिन्न मृत्युदरों में भारी गिरावट आई है तो हम ये मान सकते है की लॉकडाउन के कारन भी ऐसा हो सकता है क्यूंकि लॉकडाउन में उद्योग कारखाने बंद है इसलिए वहां हुई दुर्घटनाओं की कमी, विभिन्न परिवहन साधनो में हुई दुर्घटनाओं की कमी, वायु प्रदुषण में कमी, अपराधों की कमी इत्यादि कारको के कारन मृत्युदर में कमी आई है | तो यदि कोरोना के कारण हुई मृत्यु बेशक परीक्षणों की कमी की वजह से कोरोना के खाते में नहीं गई परन्तु देश की कुल मृत्युदर में इजाफा करके उसे प्रभावित अवश्य करेगी, जैसा की नहीं हो रहा है | अतः हमारा तीसरी संभावना भी शत प्रतिशत उचित नहीं है |
4. भारत एक युवा देश है यहाँ बुजुर्गों की संख्या युवाओं की तुलना में कम है |
4. भारत एक युवा देश है यहाँ बुजुर्गों की संख्या युवाओं की तुलना में कम है |
चीन से प्राप्त प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार यह ज्ञात होता है कि कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर बुजुर्गों में बहुत अधिक है | यह 80 की आयु से ऊपर के लोगों के लिए 14.8% है, लेकिन 39 वर्ष से नीचे के व्यक्तियों के लिए सिर्फ 0.2% है। भारत में केवल 0.8% आबादी 80 वर्ष की आयु के ऊपर है और लगभग 75% आबादी 40 वर्ष से कम उम्र की हैं | परन्तु केवल इतना ही काफी नहीं है यह देखना भी आवश्यक है कि यदि किसी व्यक्ति को हृदय रोग, मधुमेह, पुरानी सांस की बीमारी, या उच्च रक्तचाप है, तो मृत्यु दर लगभग 30% बढ़ जाती है। इसके साथ बहुत सारे घटक और भी कार्य करते है जैसे भारत की युवा आबादी पूर्णतः स्वस्थ नहीं है प्रत्येक 6 में से एक व्यक्ति को मधुमेह है | ह्रदय रोग उच्च रक्त चाप, स्वसन तंत्र के रोग, कुपोषण इत्यादि का प्रतिशत हमारे देश में अन्य देशो की तुलना में काफी अधिक है | इसके साथ एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है कि भारत में संयुक्त परिवारों की संस्कृति है जहा बच्चे, युवा और बुजुर्ग सब एक साथ रहते है | तो कोरोना जैसी स्पर्श से फैलने वाली बीमारी के फैलाव का खतरा तो और ज्यादा बढ़ जाता है | इसलिए ये कहना की भारत एक युवा देश है तो यहाँ कोरोना का प्रभाव कम रहेगा प्रासंगिक तर्क नहीं है |
5. भारत की जलवायु कोरोना के प्रतिकूल है जैसे उच्च तापमान, आदृता आदि | जो की कोरोना के फैलाव को संकुचित करती है और इसके भयंकर परिणामो को शिथिल करती है |
भारत एक ऐसा देश है जहां विश्व में पाए जाने वाले हर प्रकार के मौसम की झलक देखने के लिए मिलती है | जैसे भारत में गरम प्रदेश, ठन्डे प्रदेश, अधिक वर्षा क्षेत्र, आर्द्र क्षेत्र, ऊमष क्षेत्र आदि देखने को मिलते है | ऐसे प्रत्येक मौसम में कोरोना वायरस जीवित रह पा रहा है | तो अब ऐसा कोई मौसम आना शेष नहीं है जिसमे कोरोना का जीवित रह पाना कठिन हो | और ऐसे शोध भी किये जा चुके है जिसमे पता चलता है की मौसम का कोई विशेष प्रभाव कोरोना वायरस पर नहीं पड़ता है | क्यूंकि कोरोना गर्म से गर्म और ठन्डे से ठन्डे मौसम में जीवित रह सकता है ये हम विभिन्न देशों की स्थिति से पता लगा सकते हैं | इसलिए हम ये मान सकते है की कोरोना के प्रसार और प्रभाव का जलवायु परिस्थिति से कोई सरोकार नहीं है |
भारत एक ऐसा देश है जहां विश्व में पाए जाने वाले हर प्रकार के मौसम की झलक देखने के लिए मिलती है | जैसे भारत में गरम प्रदेश, ठन्डे प्रदेश, अधिक वर्षा क्षेत्र, आर्द्र क्षेत्र, ऊमष क्षेत्र आदि देखने को मिलते है | ऐसे प्रत्येक मौसम में कोरोना वायरस जीवित रह पा रहा है | तो अब ऐसा कोई मौसम आना शेष नहीं है जिसमे कोरोना का जीवित रह पाना कठिन हो | और ऐसे शोध भी किये जा चुके है जिसमे पता चलता है की मौसम का कोई विशेष प्रभाव कोरोना वायरस पर नहीं पड़ता है | क्यूंकि कोरोना गर्म से गर्म और ठन्डे से ठन्डे मौसम में जीवित रह सकता है ये हम विभिन्न देशों की स्थिति से पता लगा सकते हैं | इसलिए हम ये मान सकते है की कोरोना के प्रसार और प्रभाव का जलवायु परिस्थिति से कोई सरोकार नहीं है |
6. भारत में BCG का टीकाकरण एवं मलेरिया आदि रोगो से प्रतिरोधकता आदि ने भारत को कोरोना के प्रभावों से बचाकर रखा है |
यह बात पूर्णतः सत्य नहीं है की BCG के टीके और मलेरिया प्रतिरोधक दवाओं के सेवन के कारण भारत में कोरोना का प्रभाव कम है | विश्व के ऐसे कई देश है जहा BCG के टीके लगाए जाते है और मलेरिया प्रतिरोधक दवाओं का सेवन भी किया जाता है | और जरा सोचिये की केवल BCG के टीका से ही कोरोना की रोकथाम हो रही होती तो सब कुछ कितना आसान हो जाता | ये बात तो सत्य हो सकती है कि कही न कही BCG के टीके या मलेरिया इत्यादि की दवाओं से मनुष्य के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही होगी जो की कोरोना से लड़ने में मदद करती होगी परन्तु प्रतिरोधक क्षमता तो प्रत्येक मनुष्य की अलग अलग होती ही है, जिन लोगो की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, उन्हें मालूम नहीं चलता है परन्तु कोरोना के वाहक तो वे भी बन ही जाते है और वे भी जब किसी कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले के संपर्क में आते है तो उसे संक्रमित कर ही देते है | इसलिए ये कहना की BCG का टीकाकरण एवं मलेरिया आदि रोगो से प्रतिरोधकता आदि ने भारत को कोरोना के प्रभावों से बचाकर रखा है पूर्णतः तर्कसंगत नहीं है |
इन सभी सम्भावनाओ को देखते हुए ये कहा जा सकता है की विश्व के अन्य विकसित राष्ट्रों की तुलना में कोरोना का प्रभाव भारत में मृत्युदर के दृष्टिकोण से कम है | और प्रभु से प्रार्थना है की ये प्रभाव कम ही बना रहे | परन्तु इसका ये मतलब कतई नहीं है की हम कोरोना के प्रति लापरवाह हो जाए क्यूंकि ये बीमारी नहीं महामारी है जो कभी भी अपने विकराल रूप में आ सकती है |
वास्तविकता ये है की भारत अपने दो मूल तत्वों "सभ्यता" और "संस्कृति" के कारण कोरोना ही नहीं कोरोना जैसी किसी भी विपदा और आपदा से बचा रह सकता है | किसी भी देश की सभ्यता और संस्कृति रीढ़ की हड्डी की तरह होती है जिसके कारण पूरे देश का ढांचा सुरक्षित रहता है | भारत पर हजारो वर्षों से आपदाएं और विपदाएं आती रही है, बस उनके रूप अलग अलग होते है | परन्तु हर बार हर विपदा और आपदा से लड़कर भारत और मजबूत होकर निखरा है | भारत की सभ्यता और संस्कृति का लोहा तो पूरे विश्व ने माना है | जिसका एक बहुत छोटा सा उदाहरण है की इस कोरोना की विपदा के समय विश्व ने हमारे हाथ जोड़कर किये जाने वाले अभिवादन (नमस्कार) का अनुसरण किया है | ऐसे हजारों उदाहरण है जब भारत का अनुसरण पूरे विश्व के द्वारा किया गया है |
"वसुधैव कुटुम्बकम् "
के सिद्धांत का अनुसरण करने वाला हमारा देश भारत एक विशेष मूल मन्त्र की धुरी पर टिका हुआ है जिस कारण कोरोना जैसी महामारी से विचलित हुए बिना आसानी से जीत जाएगा वह मूल मन्त्र है -
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ॥
लेखक - डॉ. शैलेन्द्र सिंह
Bahut achaa likha hai!
ReplyDeletethnks bhai
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